संक्षिप्त विवरण
सिविल अभियाँत्रिकी संरचना के विकास, स्रुजनन एवं अच्छि स्थिति में इसकी अनुरक्षण केलिए ब्रुहत पूँजी की आवश्यकता है. सीमेंट, इस्फ़ात, नदी रेत और कुचलित ग्रानैट, भवन निर्माण सामग्री के रूप में अधिक उपयोग किए जाते हैं . इन सामग्रियों में से, सीमेंट एवं स्टील के उत्पादन में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता है. इसके साथ-साथ, इनके उत्पादन में काफी मात्रा में CO2 उद्गार भी होता है. कंक्रीट समुच्चय जैसे नदी रेत और कुचलित ग्रानैट की उप्लब्धदता भी सीमित है. अतः, इन पारंपरिक कच्चे सामग्रियों के उत्पादन केलिए वैकल्पिक पध्दति या वैकल्पिक सामग्री की पहचान की अत्यधिक आवश्यकता है. इसलिए, वैश्विक उष्णता, वातावरण में ग्रीन-हाउस गैस का अधीक्रुत गाढता, प्राक्रुतिक संसाधनों का अवक्षय, विपरीत मौसम घटनाएँ आदि सिविल संरचनाओं पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं, तथापि, जीवन की गुणवत्ता पर व्यापक प्रभाव डाल रहे हैं. अतः, सीमेंट-प्रतिस्थापन पदार्थों की अभियांत्रिकी, औद्योगिक व्यर्थ और उप-उत्पादन, लागत-प्रभावी केलिए निर्माण के व्यर्थ सामग्री पर्यावरण-हितैषी, नवीक्रुत एवं धारणीय निर्माण सामग्री मानव जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होंगी. इस दिशा में आगे बढने केलिए इन ने सामग्रियों की सूक्ष्म संरचना को समझने एवं इनके अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक यांत्रिकी और टिकाऊपन गुणधर्मों को वास्तविक अनाश्रय स्थितियों में समझने की आवश्यकता है. घटकों केलिए इन अभियांत्रित पदार्थों की उपयोगिता से धारणीय संरचनाओं को निर्मित कर सकते हैं.
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