CSIR-SERC logo

अभूतपूर्व विशाल हिमानी मलबे के प्रवाह से प्रभावित तपोवन विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना (4 X 130 मेगावाट) की आरसीसी संरचनाओं की स्थिति का आकलन।

नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) उत्तराखंड के जोशीमठ के तपोवन में अलकनंदा नदी पर अनुप्रवाह की ओर स्थित 520 मेगावाट के जलविद्युत शक्ति संयंत्र का निर्माण कर रहा है। इस बिजली संयंत्र के लिए, धौलीगंगा नदी पर 3,100 किमी2 के जलग्रहण क्षेत्र के साथ एक बांध निर्माणाधीन है। इस बांध की मुख्य संरचना में नदी-बाँध संरचना, सेवन (अन्तर्ग्रहण) संरचना, गाद निकालने की संरचना और सुरंग बनाना शामिल है। 7 फरवरी 2021 को एक अभूतपूर्व विशाल हिमनद मलबे का प्रवाह हुआ और उसके बाद मलबे/गाद/बोल्डर/बर्फ/चट्टान के टुकड़ों/मिट्टी/पेड़ों आदि से भरी विनाशकारी बाढ़ ने निर्माणाधीन बैराज को भर दिया। इस प्राकृतिक आपदा के कारण, सभी बांध संरचनाएं गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गईं हैं और पुल के डेक स्लैब, हेड ऑपरेटिंग रूम और रेडियल गेट बह गए, एक ब्रेस्ट दीवार पूरी तरह से कट गई और दूसरी ब्रेस्ट दीवारें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गईं।

बांध संरचना (जलप्रलय से पहले)

बांध संरचना (जलप्रलय के बाद)

बांध संरचना की विशिष्ट क्षतियाँ

बाँध, अंत्र्ग्रहण और डी-सिल्टिंग (अवसदन) चैंबर सहित विभिन्न बांध संरचनाओं की स्थिति का आकलन करने के लिए और बांध संरचना को भविष्य में उपयोग करने की संभावना के बारे में विचार करने के लिए एनटीपीसी ने इस समस्या को सीएसआईआर-एसईआरसी को सौंपा।

सीएसआईआर-एसईआरसी टीम द्वारा स्थल में ही एनडीटी (अविनाशक परीक्षण) और पीडीटी (आंशिक-विनाशक परीक्षण) जांच

सीएसआईआर-एसईआरसी ने राष्ट्रीय महत्व की इस चुनौतीपूर्ण परियोजना पर कार्य करना आरंभ किया और बांध की संरचना पर विस्तृत वैज्ञानिक जांच किया, जिसमें ये सब शामिल हैं (i) बांध संरचना का दृश्य अवलोकन, (ii) एनडीटी के माध्यम से कंक्रीट की गुणवत्ता और अखंडता का मूल्यांकन / अ-विनाशक परीक्षा के माध्यम से कंक्रीट की गुणवत्ता और अखंडता का मूल्यांकन, (iii) कुल स्टेशन सर्वेक्षण के माध्यम से ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज संरेखण सुनिश्चित करना, (iv) भूवैज्ञानिक मापदंडों का आकलन, (v) गुणवत्ता आश्वासन और गुणवत्ता नियंत्रण पद्धति प्रदान करना। इन सबको युद्ध स्तर के आधार पर एनटीपीसी को उचित उपचारात्मक समाधान प्रदान किया गया, जिसके आधार पर तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की क्षतिग्रस्त बांध संरचना को पुनः स्थापित (बहाल) किया जा रहा है