दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे में टीआरसी सीमा दीवार की परिनियोजन
सीएसआईआर – संरचनात्मक अभियांत्रिकी अनुसंधान केंद्र, चेन्नै ने हदबंदी और सीमा दीवार निर्माण के लिए लागत प्रभावी और लागू करने में आसान वस्त्र प्रबलित कंक्रीट (टीआरसी) पैनल विकसित किया है। टीआरसी में सुदृढीकरण के रूप में बारीक दाने वाले सीमेंटयुक्त बाइंडर और स्वदेशी क्षार प्रतिरोधी ग्लास टेक्सटाइल शामिल हैं। टीआरसी हदबंदी के फायदे हैं :- टिकाऊपन, हल्के वजन, स्थल में और कारखानों में आसान उत्पादन, पूर्वगढित प्रकृति, आसान परिवहन क्षमता आदि। टीआरसी हदबंदी भारतीय बाजार में एक नया उत्पाद है, अतः, भारत में इसका उपयोग तकनीकी वस्त्र उत्पादन को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी। इस तरह के हदबंदी पैनलों का दायरा विभिन्न प्रकार की बुनियादी परियोजनाओं के लिए दीवार निर्माण आवश्यकताओं के अनुकूल कर सकते हैं, जैसे :- हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में राज मार्ग के लिए दीवार हदबंदी (आरओडब्ल्यू), रेलवे परियोजनाओं, सौर ऊर्जा परियोजना की सीमा दीवारों और एसईजेड भूमि सीमा दीवारों और सीमा प्रबंधन के लिए दीवार हदबंदी लगाना।
साइट पर टीआरसी हदबंदी का कार्यान्वयन बहुत ही आसान है और इनका निवेशन एक पैनल के रूप में किया जा सकता है। स्थल की आवश्यकताओं के अनुरूप 1 मीटर से 2.4 मीटर तक की पैनल लंबाई विकसित की गई है। प्रस्तावित टीआरसी हदबंदी पैनलों के उत्पादन या कार्यान्वयन के लिए किसी भारी मशीनरी की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में पूर्वगढित कंक्रीट और पूर्वबलित कंक्रीट का उपयोग करके पारंपरिक रूप से उपयोग की जाने वाली हदबंदी की तुलना में, प्रस्तावित मुड़े हुए टीआरसी पैनल हदबंदी और सीमा दीवार अनुप्रयोगों के लिए सामग्री लागत, परिवहन लागत, सीमेंट की खपत और हल्के वजन प्रदान करते हैं। इसके अलावा, वस्त्र प्रबलित कंक्रीट में गैर-संक्षारक होने का अनूठा लाभ भी है। न्यूनतम रखरखाव, निर्माण समय और जोखिम को कम करना, सामग्री का उपयोग कम करना, जीवन चक्र लागत को कम करना और धारणीय निर्माण आदि टीआरसी सीमा दीवारों का उपयोग करने से लाभ हैं।
सीएसआईआर-एसईआरसी, चेन्नै में विकसित "हदबंदी दीवार अनुप्रयोगों के लिए वस्त्र प्रबलित कंक्रीट हदबंदी प्रौद्योगिकी" को गैर-अनन्य आधार पर एल & टी कंस्ट्रक्शन (ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर आईसी), मुंबई को लाइसेंस पर दिया गया है। एल & टी, मुंबई द्वारा दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे परियोजना पैकेज में 70 मीटर का एक परीक्षण खंड रतलाम के पास लगाया गया है।