पटना में गंगा नदी पर दूसरे सबसे लंबे रेल-सड़क पुल जे पी सेतु के निष्पादन का मूल्यांकन और व्यापक उपकरण और क्षेत्र जांच का उपयोग करके गतिशील प्रतिक्रिया माप के आधार पर क्षति शमन सिद्धांतों का सूत्रीकरण।
पटना में गंगा नदी पर जय प्रकाश नारायण सेतु पुल (जेपी सेतु, बीआर नंबर 7) दूसरा सबसे लंबा रेल-सड़क पुल है जिसे वर्ष 2016 में सेवा के लिए चालू किया गया था। हालाँकि, सेवा की अवधि के दौरान पुल के कुछ जोड़ों और पॉट बेयरिंग सपोर्ट में संकट दिखाई देने लगी। पूर्व मध्य रेलवे ने संकट के कारणों का अध्ययन करने और पुल की मरम्मत के लिए उपकरण, गतिशील परीक्षण और संख्यात्मक सिमुलेशन (अनुरूपता) अध्ययन के माध्यम से पुल के कुछ विशिष्ट हिस्सों को पूरा जांच करने का कार्य सीएसआईआर-एसईआरसी को सौंपा है। पुल की कुल लंबाई लगभग 4.5 किमी है, जिसमें 123 मीटर के 36 स्पैन हैं, जो ट्रस गर्डर्स के माध्यम से समर्थित हैं, निचले डेक स्तर पर रेल और शीर्ष डेक पर सड़क हैं। जांच के लिए पुल के तीन विशिष्ट स्पैनों की पहचान की गई, और सहायक पॉट बेयरिंग के विक्षेपण, विभिन्न घटकों पर तनाव, कंपन और रोटेशन को मापने के लिए व्यापक उपकरण योजना तैयार की गई। इस से पूरे पुल को यंत्रीकृत किया गया और विभिन्न स्थैतिक और गतिशील परीक्षण परिदृश्यों के लिए पूरी तरह से भरी हुई परीक्षण गाडी से एकल एवं विलोम दिशाओं में परीक्षण किया गया। चलते ट्रेन की परिचालन स्थितियों के तहत पुल के पूरे बर्ताव को समझने के लिए इस प्रकार का परीक्षण पहली बार अपनाया गया। वाहन-ट्रैक-पुल इंटरेक्शन मॉडल (अंतः क्रिया नमूनों) का उपयोग करके ट्रेन संरचनाओं के गतिशील परीक्षण चलाने के मामलों का अनुकरण करते हुए विस्तृत संख्यात्मक सिमुलेशन अध्ययन किए गए। इस प्रकार की गई जांच के आधार पर, ईसीआर (प म रे) को, की गई जांच, संकट मूल्यांकन और पुल के अभिकल्पित लोडिंग और गति की पूर्ण सेवा चरण को उपयोग में लाने के लिए अपनाई जाने वाली मरम्मत सिद्धांत के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी विवरण दिया जाएगा।